अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में स्थित श्री ऋषभदेव जैन शोधपीठ में ऋषभदेव जयन्ती (चैत्र कृष्ण नवमी) के अवसर पर भगवान श्री ऋषभदेव के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं उनके उपदेश एवं शिक्षाओं पर एक परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें विभागीय शिक्षकों ने भगवान ऋषभदेव के जीवन दर्शन एवं उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की शुरुआत में इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 नन्दकिशोर तिवारी द्वारा ऋषभदेव जी की मूर्ति का जलाभिषेक कर माल्यार्पण किया गया एवं सभी विभागीय शिक्षकों एवं कर्मचारियों द्वारा ऋषभदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर प्रो0 तिवारी ने भगवान ऋषभदेव की शिक्षाओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान ऋषभदेव जैन धर्म के प्रणेता हैं और हम सभी के लिए ये गौरव की बात है कि उनका जन्म अयोध्या की पावन धरती पर ही हुआ था। उन्होंने ऋषभदेव के द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य एवं शिल्प को विस्तार से वर्णित किया।
जैन शोधपीठ के समन्वयक डॉ देव नारायण वर्मा ने ऋषभदेव के सार्वभौमिक व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए जैन धर्म के सिद्धांतों सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह एवं ब्रह्मचर्य के बारे में चर्चा की। इसी क्रम में विभागीय शिक्षक डॉ संजय चैधरी और डॉ दिवाकर त्रिपाठी ने भी अपने विचार रखे। परिचर्चा के इस कार्यक्रम में विभाग के डॉ आलोक मिश्रा, डॉ देशराज उपाध्याय, डॉ मृदुला पाण्डेय, दिव्यव्रत सिंह, कैलाशचंद्र पाण्डेय, सुधीर सिंह, अजीत सिंह, देवी प्रसाद सिंह, हरिराम, श्रवण सिंह आदि शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
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