अयोध्या। काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी और डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संयुक्त संयोजन में "राम राज्य में मानवीय मूल्यः वर्तमान वैश्विक परिदृश्य" विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबीनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि अयोध्या भगवान राम की शाश्वत नगरी है तथा काशी भगवान शिव की नगरी है। दोनों विश्व की प्राचीनतम जीवित नगरी है। यह सुखद संयोग है कि दोनों विश्वविद्यालयों के संयुक्त संयोजन में प्रभु श्रीराम राज में जीवन मूल्यों पर मंथन किया जा रहा है। प्रो0 दीक्षित ने कहा कि प्रभु श्रीराम भगवान शिव को अपना आराध्य मानते है और भगवान शिव प्रभु श्रीराम को अपना आराध्य मानते है। यह अद्भुत संबंध सौहार्द्र को प्रदर्शित करता है। कुलपति ने कहा कि अवध विश्वविद्यालय अयोध्या में श्रीराम शोध पीठ तथा जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव शोधपीठ दोनों ही स्थापित है। इनके माध्यम से भारतीय संस्कृति की दोनों धाराओं के महापुरुषों की वाणी को हमें जन-जन तक पहुंचाना है। यह कार्य महान संत महामना की बगिया से ही हो सकता है।
वेबिनार की अध्यक्षता कर रही जैन धर्म की सर्वोच्च साध्वी गणिनी प्रमुख आयिका शिरोमणि भारत गौरव श्री 105 ज्ञानमती माताजी ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ बताते हुए उन्हें धर्म का सच्चा संरक्षक बताया। उन्होंने कहा कि जहां सुख, शांति है वही राम राज्य है। पूज्य माताजी ने प्रभु श्रीराम को एक आदर्श व्यक्तित्व निरूपित किया। ज्ञानमती माता जी ने जैन ग्रंथ पद्म पुराण में वर्णित भगवान श्रीराम की विशेषताओं को उद्घाटित किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में अंतर्राष्ट्रीय राम कथा वाचक एवं अयोध्या की रामायणन संस्थान की परम पूज्य दीदी मां मंदाकिनी रामकिंकर ने अपने आशीर्वचन में प्रभु राम की स्तुति करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम का कोई भी पक्ष आप देख ले उसमें धर्म कूट-कूट कर भरा हुआ है। यही कारण है कि वह भारतीय संस्कृति के सिरमोर व्यक्तित्व हैं। उन्होंने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रभु श्रीराम के चरित्र का अनुसरण करने का आवाहन किया ताकि वसुदेव कुटुंबकम की भावना को आत्मसात किया जा सके।
वेबीनार में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ0 नीरज त्रिपाठी ने प्रभु राम के चरित्र को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा प्रदान की जिससे जीवन में समरसता तथा मानवीय मूल्यों को अपनाया जा सके। वेबीनार को सोफिया विश्वविद्यालय बल्गारिया के प्रो0 आनंद वर्धन शर्मा, कुंदकुंद ज्ञानपीठ के निदेशक प्रो0 अनुपम जैन, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो0 खुशहाली गुरु, प्रो संजय गुप्ता सहित पूज्य श्री 105 चंदना मति माताजी कथा पीठाधीश स्वस्ति श्री परम पूज्य रवीन्द्रकीर्ति जी महाराज ने भी संबोधित किया।
वेबीनार का शुभारम्भ डॉ0 जीवन प्रकाश जैन एवं मनीष कुमार शास्त्री द्वारा किया गया। इस अवसर पर दोनों विश्वविद्यालयों के कुलगीत का प्रस्तुतिकरण अनीता मनीष जैन ने किया। स्वागत भाषण मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उप समन्वयक प्रो0 गिरजा शंकर शास्त्री ने किया। वेबीनार का कुशल संचालन डॉ0 सुचिता सिंह ने किया। वेबिनार में अतिथियों के प्रति आभार डॉ0 उषा त्रिपाठी द्वारा किया गया। वेबीनार के आयोजन सचिव डॉ0 संजीव सराफ ने एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम को तकनीकी संयोजन डॉ0 अभिषेक त्रिपाठी, डॉ0 राम कुमार दांगी, डॉ0 मनीष कुमार सिंह एवं सौदामिनी श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ राजीव वर्मा, डॉ0 धर्मजंग की विशेष भूमिका रही। कार्यक्रम में श्रीलंका विश्वविद्यालय की डॉ0 रानी कुमारी, लंदन स्थित फ्रांसिस क्रिक कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ0 जयंत अस्थाना फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के डॉ0 पीयूष की भी सहभागिता रही। वेबीनार में देश-विदेश के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थाओं एवं धार्मिक संस्थाओं से लगभग 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया। हजारों की संख्या में प्रतिभागियों ने यूट्यूब एवं फेसबुक के माध्यम से इसका सजीव प्रसारण देखा।
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