अयोध्या। मन में सुनहरे भविष्य का सपने संजोए परदेस कमाने गए युवकों को कहां पता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब उन्हें अपने ही अपनाने से कतराएंगे। लेकिन कोरोना काल में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। माया नगरी मुम्बई सहित अलग-अलग प्रान्तों में कमाने गए युवक जब कोरोना वायरस और लाक डाऊन के बीच अपने वतन यानी घर पहुंचे तो उन्हें अपने ही लोग कतार दृष्टि से देखने लगे, ऐसे में युवकों ने कोरंटिन कि अवधि गुजरने का अनोखा तरीका खोज निकाला।
एक तरफ माया नगरी से वापस आये दो युवकों ने अपना आशियाना पेड़ पर बना लिया तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली से वापस आये युवकों ने अपना आशियाना खुले आसमान के नीचे खेतों में बनाया है। वजह बस इतनी की बहार से आने पर उन्हें अपने ही गांववासी कतार दृष्टि से देखने और भेदभाव करने लगे। वहीं मुंबई से लौटे युवकों ने जब पेड़ पर आशियाना बनाया तो स्वास्थ्य विभाग ने कोरंटाइन का नोटिस पेड़ पर ही चस्पा कर दिया।
बता दें कि जनपद के मिल्कीपुर तहसील के खजूरी मिर्जापुर के रहने वाले मोहम्मद गुलशेर खां और मोहम्मद महताब खां पैसा कमाने की चाहत में माया नगरी मुंबई गए थे, पर इन्हें क्या पता था कि जब ये इस तरह कि महामारी और लाक डाऊन के बीच घर वापस होंगे, तो इन्हे पेड़ पर आशियाना बना कर रहना पड़ेगा। हालांकि वतन वापसी के बाद ये दोनों शख़्स इस लाकडाऊन में ख़ुद को इस अंदाज में कोरोंटाइन करके लुत्फ उठाते हुए एक नज़ीर पेश कर रहे हैं। साथ ही लोगों से अपील भी कर रहे हैं कि कोरोंटाइन से भागे नही अपने हिसाब से इन्जॉय भी कर सकते है। ख़ुद को कोरोंटाइन किए हुए दोनों शख़्स के पास जरूरत की सारी चीज़े भी उसी पेड़ के नीचे उपलब्ध है। ख़ास बात तो ये है कि ये दोनों शख़्स के पास नमाज़ पढ़ने के लिए मुसल्ला और मोबाइल चार्ज करने के लिए सोलर पैनल भी इसी पेड़ के नीचे मौजूद है।
दूसरी तरफ अमानीगंज के छोई गांव के दो युवक 18 मार्च को दिल्ली रोजगार के लिए पहुंचे थे, लेकिन 4 दिन बाद ही भारत के प्रधानमंत्री ने देशव्यापी लॉक डाउन की घोषणा कर दी। ऐसे में दोनों युवकों को खाने के लाले पड़ गए तो दोनों युवकों ने वापस अपने गांव को जाने का मन बना लिया और दोनों एक ट्रक से सुल्तानपुर जनपद के जगदीशपुर पहुचे और जगदीशपुर से मिल्कीपुर, फिर वहां से दोनों युवक रात में ही पैदल अपने गांव पहुचे और ने खेत में अपना आशियाना बना कर रहने लगे।
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