21 August 2020

राम मंदिर पर भूकंप, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का नहीं होगा असर, जानें निर्माण में क्या होगा इस्तेमाल

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रिपोर्ट : अभिषेक तिवारी

श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है और इंजीनियर अब इस स्थल पर मिट्टी का परीक्षण कर रहे हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने गुरुवार को सुबह ट्वीट कर यह जानकारी दी है। मंदिर के निर्माण में देश की प्राचीन और पारंपरिक निर्माण तकनीकों का पालन किया जाएगा। मंदिर का निर्माण ऐसे किया जाएगा जिससे इस पर भूकंप, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का कोई असर नहीं होगा।
ट्वीट करके ट्रस्ट ने बताया कि विशेष रूप से मंदिर के निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए तांबे की प्लेटों का उपयोग करके पत्थरों को ब्लॉक किया जाएगा। प्लेटें 18 इंच लंबी, 30 मिमी चौड़ी और 3 मिमी गहराई में होनी चाहिए। कुल संरचना में 10,000 ऐसी प्लेटों की आवश्यकता हो सकती है। हम श्री रामभक्तों से ट्रस्ट को ऐसी तांबे की प्लेट दान करने के लिए निवेदन करते हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि आज की अनौपचारिक बैठक में आया कि सीआरबीआई रुड़की और आईआईटी मद्रास का पूरा सहयोग लिया जा रहा है, 10 से 12 जगह पर 60 मीटर की गहराई तक मिट्टी की जांच हुई है। इसके आधार पर फिर भूकंप की स्टडी हुई है।
 उन्होंने कहा कि आज ये बात सामने आई कि 30 से 35 मीटर गहराई से नींव लानी पड़ेगी और 1 मीटर व्यास के गोल आकार में लानी पड़ेगी। तीन एकड़ में ऐसे कम से कम 1200 बिन्दू (खंभे) होंगे।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को राम जन्मभूमि स्थल पर 'भूमि पूजन' में शामिल होने के लिए अयोध्या आए थे। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत सहित कई अन्य लोग भी इस समारोह में उपस्थित थे।

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