रिपोर्ट: अभिषेक तिवारी
केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति ने पंडाल समितियों से की प्रतीकात्मक रूप से दुर्गा पूजा महोत्सव मनाए जाने की अपील
अयोध्या
राम नगरी अयोध्या में श्री कृष्ण जन्माष्टमी व गणेश पूजा के बाद दुर्गा पूजा महोत्सव पर भी कोरोना का साया दिखाई दे रहा है। इस बार अयोध्या में 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे दुर्गा पूजा पंडाल नहीं सजाया जा सकेगा।
दुर्गा पूजा एवं राम लीला समन्यवय में समिति के द्वारा पंडाल समितियों से अपील किया कि इस बार दुर्गा पूजा लोग अपने घरों में यह मनाएं।
केंद्रीय दुर्गा पूजा एवं रामलीला समन्वय समिति मंडल अयोध्या की बैठक तिवारी मंदिर महंत गिरीश पति त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुआ। बैठक में प्रशासन के साथ हुई बैठक के दिशा निर्देशों के मुताबिक शारदीय नवरात्र दुर्गा पूजा को प्रतीकात्मक रूप से मनाने पर विचार हुआ।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान समय में पूरे विश्व पर कोरोना महामारी का खतरा मंडरा रहा है और हमारे देश में अब यह रोग बहुत तेजी से फैल रहा है इसलिए हमें सबसे अधिक बचाव की आवश्यकता है। मानवता की रक्षा के लिए इस बार हमें प्रतीकात्मक रूप से मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।
समिति के अध्यक्ष रमापति पांडे ने बताया कि इस बार अयोध्या के सभी समितियों से निवेदन किया जाएगा कि मां दुर्गा के त्यौहार को प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाए और लोग अपने घर पर रहकर के 9 दिन मां की पूजा करें।
मंडल के संयोजक महंत धनुषधारी शुक्ला ने बताया कि इस बार 17 अक्टूबर से नवरात्र प्रारंभ होगा और 26 अक्टूबर को विसर्जन एवं दशहरा पूजा का शास्त्रीय समय है। उन्होंने कहा सभी समितियों से निवेदन किया गया है कि वह अपने घर में कलश स्थापना करके कलश की पूजा करें और किसी की मां के प्रति अगाध आस्था है तो शासन व प्रशासन के निर्देशानुसार 1 फीट की प्रतिमा अपने घर में स्थापित करें और ठेले पर पांच लोग विसर्जन के लिए ले जाएं। शक्ति वाहिनी प्रमुख बिंदु सिंह ने बताया कि 16 अक्टूबर को मां छोटी देवकाली की कलश यात्रा प्रतीकात्मक रूप में होगी जिसमें बहने स्वयं मां सरयू से भर के स्थापित करेंगी कोई शोभायात्रा नहीं निकाली जाएगी। बैठक का संचालन प्रवक्ता भानु प्रताप सिंह ने किया इस दौरान अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
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