14 September 2020

संविदा नौकरी को लेकर सपा हमलावर 5 साल के प्रस्ताव पर शुरू की सियासत

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रिपोर्ट: अभिषेक तिवारी
अयोध्या
संविदा नौकरी को लेकर सपा हमलावर, कहा- पहले अपने मुख्यमंत्रियों को संविदा पर रखे फिर बेरोजगारों पर थोपे काला कानून
उत्तर प्रदेश में पांच साल की संविदा नौकरी के प्रस्ताव पर सियासत शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी ने इस पर कड़ा विरोध जताया है.

फैजाबाद. उत्तर प्रदेश में पांच साल की संविदा नौकरी  के प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी ने कड़ा विरोध जताया है. पार्टी ने कहा कि भाजपा  पहले अपने मुख्यमंत्रियों के संविदा पर रखे. उनकी कार्य की समीक्षा हो उसके बाद फिर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए. पूर्व राज्यमंत्री और सपा नेता पवन पांडे ने कहा कि बेरोजगारों पर यह काला कानून सौंपने से पहले मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मांग है कि पहले वह अपने मुख्यमंत्रियों को संविदा पर रखना शुरू करें और हर छह महीने पर जनता उनके कार्यों को परखे. अगर वे जनता की कसौटी पर खरे उतरते हैं तो उसके बाद फिर उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर आगे रखा जाए.
पवन पांडे ने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा के जितने मंत्री हैं उनको भी पहले संविदा के तौर पर रखा जाए उनके भी कार्य की समीक्षा हो. जनता उनके हर छह महीने के कार्यों की समीक्षा करे. अगर मुख्यमंत्री जनता के कार्यों की समीक्षा पर खरे उतरते हैं तो फिर उनको आगे उस पद पर रखा जाये. पवन पांडे ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का यह काला कानून ठीक नहीं है. राज्य सरकार अपना यह काला कानून बेरोजगारों पर थोप रही है. दरअसल जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार नौकरियों में अभ्यर्थियों को परमानेंट करने से पूर्व 5 साल संविदा पर उन्हें रखने का नौकरी में प्रस्ताव ला रही है उसका  विपक्ष ने विरोध करना शुरू कर दिया है.

उनका मानना है कि यह कानून बेरोजगारों के लिए ठीक नहीं है और विपक्ष इसका विरोध करेगा. उत्तर प्रदेश सरकार के संविदा नौकरी का विरोध होना शुरू हो गया है बेरोजगार अभ्यर्थियों ने इस पर बोलना शुरू कर दिया है. हालांकि सरकार की मंशा है कि नौकरी देने के पहले अभ्यर्थी उस पद के काबिल है कि नहीं यह जान लेना जरूरी है. इसीलिए संविदा पर नौकरी देकर 6 महीने उनके कार्यों का आंकलन भी किया जाना चाहिये.

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