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रिपोर्ट:अभिषेक तिवारी
अयोध्या में बन रही मस्जिद की डिजाइन पूरी तरह भारतीय और यहां के आर्किटेक्चर की विशेषता लिए होगी.
प्रो. अख्तर कहते हैं कि आज पूरे विश्व में नई नई चीजें बन रही हैं. हर देश अपनी कलात्मक शैली का उपयोग कर रहा है. लिहाजा यहां भी इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला का उपयोग होगा.
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अयोध्या के सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में दी गई पांच एकड़ जमीन पर सिर्फ मस्जिद ही नहीं बल्कि पूरा कॉम्प्लेक्स बनने जा रहा है. राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मिली इस जमीन पर जल्द ही काम शुरू होने जा रहा है. इसके लिए दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट के डीन प्रोफेसर एस एम अख्तर को जिम्मेदारी सौंपी गई है
. प्रो. अख्तर इसकी डिजाइन तैयार करने के साथ ही इसका निर्माण कार्य देख रहे हैं.
प्रोफेसर एसएम अख्तर ने बताया कि अयोध्या में एक कॉम्प्लेक्स बन रहा है. जिसका एक हिस्सा मस्जिद है. चूंकि यह सिर्फ धार्मिक स्थल न होकर मानवता की सेवा के लिए तैयार हो रहा प्रोजेक्ट है, लिहाजा इसमें बनने वाले अस्पताल और पुस्तकालय पर भी उतना ही ध्यान दिया जा रहा है. वहीं मस्जिद की बात करें तो इसका डिजाइन कंटेंपरेरी होगा. इस मस्जिद में कुछ भी पुराना देखने को नहीं मिलेगा. बल्कि यह भविष्य को दर्शाती मस्जिद होगी.
इसकी डिजाइन पूरी तरह भारतीय और यहां के आर्किटेक्चर की विशेषता लिए होगी. प्रो. अख्तर कहते हैं कि आज पूरे विश्व में नई नई चीजें बन रही हैं. हर देश अपनी कलात्मक शैली का उपयोग कर रहा है. लिहाजा यहां भी इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला का उपयोग होगा. जहां तक मस्जिद की बात है तो इसका डिजाइन कंटेंपरेरी होगा. यह बिल्कुल भी पुराने ट्रेडिशनल डिजाइन की नहीं होगी. इसमें पुरानी डिजाइनें भी उपयोग नहीं की जाएंगी. यहां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके भविष्य को ध्यान में रखते हुए कंटेपरेरी डिजाइन होगा. यह पूरी तरह नया होगा. इसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक से लेकर सामान तक नया होगा. यही इसकी खासियत होगी.
प्रोफेसर कहते हैं जहां तक पर्यटन के लिहाज से कुछ खास करने की बात है तो मस्जिद एक पूजा स्थल है, इसे पूजा स्थल की तरह ही रखा जाएगा न कि पर्यटकों को ध्यान में रखकर इसकी डिजाइन तैयार की जाएगी. चूंकि यह काफी खास होगी और नए तरीके से बनाई गई होगी तो पर्यटक अपने आप ही इस तक आएंगे. वहीं इसके पास ही बनने वाले अस्पताल और पुस्तकालय भी स्वास्थ्य और शिक्षा के विस्तार के लिए हैं. ऐसे में लोग अपनी जरूरतों के हिसाब से यहां पहुंचेंगे ही
करीब 15 हजार स्कावयर फीट पर बनेगी मस्जिद, एक्सपर्ट हैं तैयार
वे बताते हैं कि अभी तक फाइनल नक्शा नहीं बना है ऐसे में मस्जिद और बाकी दोनों स्थलों की जमीन सही-सही बता पाना मुश्किल है लेकिन अनुमानित पांच एकड़ जमीन में से 15 हजार स्क्वॉयर फीट पर मस्जिद बनाई जाएगी. वहीं इस प्रोजेक्ट के लिए देश के बेहतरीन आर्किटेक्ट तैयार हैं. प्रोफेसर कहते हैं कि उनके दर्जनों छात्र भी इस प्रोजेक्ट में काम करने के लिए उत्साहित हैं. अभी इसके नक्शे और आगे की योजनाओं पर मंथन चल रहा है.
मानसिक रूप से काम शुरू, जल्द होगा निर्माण कार्य
प्रो. कहते हैं कि अयोध्या कॉम्पलेक्स को लेकर मानसिक रूप से काम शुरू हो चुका है. इसकी तैयारियां की जा रही हैं. एक बार डिजाइन फाइनल होने के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. संभावना जताई जा रही है कि सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इस साल अंत तक निर्माण कार्य होने लगेगा. हालांकि अभी कोई डेडलाइन नहीं तय हुई है.
मस्जिद, पुस्तकालय और अस्पताल के अलावा भी मांगे जा रहे सुझाव
इनका कहना है कि उस जमीन के लिए तीन मुख्य निर्माण स्थलों का फैसला हुआ है. जिनमें मस्जिद, पुस्तकालय और अस्पताल शामिल हैं. इनके अलावा भी लोगों से सुझाव मांगे जा रहे हैं. अगर कोई ऐसी चीज जो वे यहां बनवाना चाहते हैं और जो मानव जाति की सेवा के लिए उपयोगी रहेगी तो उस पर विचार करने के बाद निर्माण कराया जाएगा.
अयोध्या से रहा है खास कनेक्शन
अख्तर कहते हैं कि उनका अयोध्या से खास कनेक्शन रहा है. उनके पूर्वज अयोध्या से जुड़े थे. वहीं उनकी जड़ें लखनऊ में हैं. ऐसे में लंबे समय से यहां की चीजों को लेकर वे जागरुक रहे हैं. अयोध्या के माहौल, वहां की सांस्कृतिक विरासत की जानकारी है.
इतनी चीजों के लिए पर्याप्त है जमीन
पांच एकड़ भूमि में मस्जिद, अस्पताल और पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि की पर्याप्ताता को लेकर प्रोफेसर कहते हैं कि जितनी भूमि है उसी के हिसाब से डिजायन तैयार किया जा रहा है. जहां तक पर्याप्तता की बात है तो इससे भी ज्यादा भूमि पर ये निर्माण हो सकता था. फिलहाल उनके पास जितनी जमीन है उसी पर नक्शा खींचा जा रहा है और इसे बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है.
अयोध्या मस्जिद कॉम्पलेक्स में बनने वाली लाइब्रेरी में होंगी सभी हिन्दू पुस्तकें
प्रो. अख्तर कहते हैं कि पुस्तकालय को लेकर सवाल है कि क्या उसकी डिजाइन भी इस्लामिक होगी, उसमें पुस्तकें भी सिर्फ इस्लाम की होंगी तो ये बेबुनियाद हैं. ये भेदभाव को बढ़ावा देने वाली सोच है. जबकि सभी जानते हैं कि वेदों के, संस्कृत भाषा के जाने कितने ही विद्वान मुस्लिम हैं. ऐसे में इस लाइब्रेरी में वेद भी होंगे, कुरान भी होगी, गीता भी होगी, रामायण भी होगी.
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