14 September 2020

राम मंदिर पर लगने वाले पिंक पत्थर पर राजस्थान सरकार ने लगाई रोक

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रिपोर्ट: अभिषेक तिवारी

अयोध्या: राम मंदिर निर्माण में लगने वाले पिंक पत्थर की खदान पर राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने लगाई रोक

राम मंदिर  के लिए लगभग तीन लाख घनफुट पत्थरों की जरूरत है. जिसमें से एक लाख घनफुट पत्थरों को तराशा जा चुका है. 20 हजार घनफुट के करीब पत्थर रामसेवक पुरम में रखे हुए हैं. बचे पत्थरों को बंसी पहाड़पुर की खदान से अयोध्या मंगाया जाना है.

अयोध्या. राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोन खदान पर रोक लगा दी है. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण इन्हीं पिंक स्टोन पत्थरों से किया जाना है. अयोध्या की कार्यशाला में राजस्थान से आए बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोन पत्थरों को तराश कर राम मंदिर निर्माण के योग्य बनाया गया है. राम मंदिर के लिए लगभग तीन लाख घनफुट पत्थरों की जरूरत है, जिसमें से एक लाख घनफुट पत्थरों को तराशा जा चुका है. 20 हजार घनफुट के करीब पत्थर रामसेवक पुरम में रखे हुए हैं. बचे पत्थरों को बंसी पहाड़पुर की खदान से अयोध्या मंगाया जाना है, लेकिन खदान पर रोक से निर्माण कार्य प्रभावित होने की बात सामने आ रही है. हालांकि, इस मुद्दे पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने सधा हुआ बयान देते हुए कहा कि वक्त आने पर वह कुछ बोलेंगे.

आनु भाई सोमपुरा ने कहा नहीं होगी कमी

कार्यशाला के मैनेजर अन्नू भाई सोमपुरा का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 में कार्यशाला स्थापित की गई थी. उसी समय से बंसी पहाड़पुर राजस्थान से पत्थरों को मंगाया जा रहा था. अभी वर्तमान में कार्यशाला बंद चल रही है, क्योंकि तकरीबन एक लाख घनफुट पत्थरों को तराश कर राम मंदिर के योग्य बनाया जा चुका है और जो पत्थर राजस्थान से आने हैं, उनको मंगाया जाएगा. लेकिन, पहले इन तराशे गए पत्थरों को राम जन्मभूमि परिसर में पहुंचा दिया जाए. हालांकि, अब जब कार्यशाला शुरू होगी तो वह राम जन्मभूमि परिसर में ही शुरू होगी. अनु भाई सोमपुरा का कहना है की पत्थरों की कोई कमी नहीं है. अभी भी राजस्थान से उनके पास फोन आ रहे हैं कि पिंक स्टोन पत्थर तैयार हैं, उनको कब भेजा जाए. लेकिन, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है.

चम्पत राय ने कही ये बात

अयोध्या के कार्यशाला के नजदीक रामसेवक पुरम में लगभग 20 हजार घनफुट पत्थर ऐसे ही रखे गए हैं, जिनको तराशे जाने हैं. विश्व हिंदू परिषद और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पास तकरीबन डेढ़ लाख के करीब पिंक स्टोन पत्थर हैं. खदान पर रोक लगने के बाद बड़ा सवाल यह है कि अब कार्यशाला के लिए राजस्थान से पिंक स्टोन पत्थर कैसे आएंगे? राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय से जब यह सवाल किया गया तो उनका जवाब चौंकाने वाला था. चंपत राय का कहना है कि हालांकि यह खबर अभी अखबारी है. इससे पूर्व वर्ष 2000 में जब वसुंधरा सरकार थी तब भी खदानों पर रोक लगी थी. चंपत राय का कहना है कि अभी पहली मंजिल का कार्य करने के लिए 1 लाख फुट पत्थर तराश के रखे गए हैं, जिससे राम मंदिर निर्माण का कार्य  शुरू हो सकता है.


पिंक स्टोन की ये है खासियत
 
बता दें कि राजस्थान के बंसी पहाड़पुर का पिंक स्टोन पत्थर राम मंदिर निर्माण के लिए कितना महत्वपूर्ण है. तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास का कहना है कि पिंक स्टोन पत्थर देखने में बहुत सुंदर होते हैं, जो मार्बल से अच्छे दिखते हैं. यही नहीं पिंक स्टोन पत्थर की उम्र लगभग 1000 वर्ष के करीब होती है. राजस्थान के बंसी पहाड़पुर में ही पिंक स्टोन पत्थर पक्के और अच्छे होते हैं. जिनका प्रयोग मंदिर निर्माण में किया जाता है. इसीलिए राम मंदिर में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर पिंक स्टोन पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है.

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