15 October 2020

विश्व हाथ धुलाई दिवस पर आयोजित हुआ वेबिनार

रिपोर्ट-कुमकुम अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में विश्व हाथ धुलाई दिवस पर सभी के लिए हाथ स्वच्छता विषय पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने कहा कि स्वच्छता हमारी सामाजिक एवं पारिवारिक परम्पराओं का अभिन्न अंग रहा है। पूर्वजों ने हाथ की सफाई स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक बताया है। हमारा देश विश्व का पथप्रदर्शक रहा है स्वच्छता में भी सदैव ही अग्रणी रहा है। कुलपति ने बताया कि सभी को स्वयं की स्वच्छता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। तभी स्वच्छ भारत का सपना पूरा हो सकेगा। कुलपति ने बताया कि कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए यह सिद्ध हो चुका है कि जीवन में साफ-सफाई का कितना महत्व है। हाथों की सफाई के महत्व पर उन्होंने बताया कि मानवीय संरचना में हाथों का असाधारण महत्व है। यह महत्व केवल शारीरिक ही नही प्रतीकात्मक भी है।
स्वच्छता हमारी सामाजिक व पारिवारिक परम्पराओं का अभिन्न अंग : कुलपति कुलपति प्रो. सिंह ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि मनुष्य सामान्यत: अपने हाथों को प्रति घंटे में 45 से 50 बार अपने चेहरे पर ले जाता है इससे बचने की आवश्यकता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को बराबर हाथ की धुलाई करते रहना चाहिए। कोविड से बचाव के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ बार बार हाथों की स्वच्छता को लेकर सचेत करते है। इस महामारी से बचाव का एक महत्वपूर्ण कदम स्वच्छता है। इसका अनुपालन करना चाहिए। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्रयागराज की डॉ. अमिता त्रिपाठी ने बताया कि साफ-सफाई हमारी सांस्कृतिक दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज के परिवेश में सफाई का कार्य और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। भारतीय परिवारों में बाल्यकाल से ही भोजन से पहले हाथ धोने की सीख दी जाती है। डॉ. त्रिपाठी ने हाथ धुलाई दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी शुरूआत सन् 2008 स्वीडन से हुई थी इसी समय से यह विश्वभर के लिए एक दिवस के रूप में आयोजित किया जाने लगा। इस महामारी के संदर्भ में चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी यह माना है कि कोविड से बचाव के लिए नियमित अंतराल पर हाथों की सफाई आवश्यक है। हाथ से ही शरीर के अंगों पर संक्रमण का प्रभाव होता है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्साधिकारी डॉ. दीपशिखा ने बताया कि हाथों को धोने के लिए वैज्ञानिक तरीकें ज्यादा प्रभावशाली है। बच्चों को भी हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करें। यह एक प्रभावशाली कदम है। उंगली के पोरों की सफाई आवश्यक है। भोजन से पूर्व एवं उपरांत तथा दैनिक क्रिया के बाद हाथों की सफाई आवश्यक है। सेनेटाइजर का प्रयोग तत्कालिक रूप से प्रभावी है। इसके लिए अच्छे साबुन का प्रयोग एक बेहतर सफाई का विकल्प है। अतिथियों का स्वागत करते हुए अधिष्ठाता छात्र-कल्याण प्रो. नीलम पाठक ने स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि समाज के हर व्यक्ति को स्वयं से स्वच्छता का संकल्प लेना चाहिए। इससे अपने को एवं समाज को स्वस्थ्य रख पायेंगे। आज कोविड महामारी में स्वच्छता ही एक विकल्प है। इसे अगर अपने जीवन में अपना लिया जाये तो निश्चित ही हर प्रकार बीमारी से निपट सकते है। कार्यक्रम का शुभारम्भ मॉ सरस्वती की वंदना एवं कुलगीत के साथ हुई। कार्यक्रम का संचालन इंजीनियर शाम्भवी एम0 शुक्ला ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. गीतिका श्रीवास्तव ने की। तकनीकी सहयोग इंजीनियर रमेश मिश्र, इंजीनियर पारितोष त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव उमानाथ, प्रो. अशोक शुक्ल, प्रो. एसएन शुक्ल, प्रो. जसवंत सिंह, प्रो. हिमांशु शेखर सिंह, प्रो. शैलेन्द्र वर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं प्रतिभागी ऑनलाइन जुड़े।

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