जमीनों की खरीद-फरोख्त की अहम कड़ी है हरीश पाठक और बाबा हरिदास
अयोध्या। राम मंदिर निर्माण के बीच श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कई जमीनी खरीद डाली, इसमें से ज्यादातर जमीन को खरीद फरोख्त को लेकर विपक्ष ने घेरना शुरू कर दिया। जिसको लेकर इन दिनों अयोध्या नगरी एक बार फिर चर्चा में है। तो हम आपको बताएंगे, कि अयोध्या लैंड डील का अहम किरदार हरीश पाठक उर्फ बाबा हरिदास आखिर है कौन और उसका इतिहास क्या है?पुलिस रिकॉर्ड में फरार चल रहा है हरीश पाठक उर्फ बाबा हरिदास
सरकारी और विवादित जमीन की खरीद-फरोख्त के इस पूरे खेल की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हरीश पाठक उर्फ हरिदास है। कहने को तो यह पुलिस के रिकॉर्ड में फरार है, लेकिन फरारी के बाद भी इसका रजिस्ट्री ऑफिस आना-जाना लगातार बना रहा।इनके लिए करोड़ों की जमीन-खरीदना बेचना आम बात है, भले ही अयोध्या पुलिस को इनकी तलाश हो। फिर भी ट्रस्ट द्वारा खरीदी हर जमीन में कहीं-न-कहीं अयोध्या के इस भूमि माफिया के तार जरूर जुड़े हुए हैं। यही नहीं, जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए इसने जो सिंडीकेट तैयार किया था, वह गजब का फल फूल भी रहा है जबकि इस पर अयोध्या में ही जमीन को लेकर ठगी के कई मामले दर्ज हैं।
गोट फार्मिंग खोल कर पहले भी जनता को लगा चुका है करोड़ों का चूना
बता दें कि इस भू माफिया ने जनता से पहले भी करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी किया है। दरअसल 25 फरवरी 2009 को इसने फैजाबाद में साकेत गोट फार्मिंग के नाम से एक कंपनी खोली और लगभग 7 साल बाद ही लोगों से जमा कराए करोड़ों लेकर भाग निकला। फिर अलग-अलग जिलों में इसके नाम धोखाधड़ी और जालसाजी के मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन संपत्ति की कुर्की के बाद भी यह पुलिस के हाथ में नहीं आया। धोखाधड़ी से कमाए पैसे को इसने जमीन खरीद-फरोख्त के धंधे में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। आलम यह है कि अयोध्या की बड़ी जमीनों की खरीद-फरोख्त में कहीं ना कहीं इस भगोड़े का हाथ जरूर होता है।
जमीन खरीद-फरोख्त में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अयोध्या मेयर का ही हस्तक्षेप क्यों
बड़ा सवाल इस बात का है कि ट्रस्ट ने इस भगोड़े से जमीन क्यों खरीदी और क्या अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का दायित्व नही बनता कि जब एक भगोड़ा उनके सामने आया तो उसे पुलिस के हवाले कर दें। अब सवाल उठता है कि आखिर ट्रस्ट विवादित जमीनें क्यों खरीद रहा है और सभी जमीनों में अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में हस्तक्षेप क्यों? खैर अयोध्या लैंड डील मामले में सवाल तो कई हैं, लेकिन इस सब का सटीक जबाब न तो ट्रस्ट के पास है और न ही अयोध्या मेयर के पास।
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