27 March 2023

रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग हुई तेज

मित्रमंच रामनगरी से देशभर में चलाएगा हस्ताक्षर अभियान और जनजागरण

अयोध्या: हाल ही में रामचरित मानस को लेकर सियासी पारा चढ़ गया और इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी बढ़ गया। ऐसे में अयोध्या से रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग उठी है। इसी कड़ी में मित्रमंच के राष्ट्रीय प्रमुख व भाजपा नेता शरद पाठक "बाबा" ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग की है कि रामचरित मानस और श्रीमद भागवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिया जाए, इसके साथ ही समर्थन में देश भक्ति हस्ताक्षर अभियान चलाने का भी दावा किया है।

रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग पहले भी होती रही है, लेकिन अभी हाल ही में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग की और इसका समर्थन विश्व हिंदू परिषद सहित अयोध्या के साधु संतों ने किया। इकबाल अंसारी ने यहां तक कहा कि रामचरित मानस के साथ-साथ सभी धर्मों की पवित्र ग्रंथों के लिए कानून बनाया जाए कि जो भी इन पर टिप्पणी करें उसको सजा दी जा सके।  

वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय प्रमुख मित्रमंच व वरिष्ठ भाजपा नेता शरद पाठक ने कहा कि रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने के लिए हमने प्रधानमंत्री जी को महामहिम राष्ट्रपति जी को और उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर के माँग की है कि हमारे ग्रंथ जैसे रामचरितमानस, रामायण और श्रीमद्भाभगवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए, क्योंकि हिंदुस्तान में करोड़ों सनातनी हिंदुओं के रहने के उपरांत जिनकी आबादी 80% से ज्यादा है, फिर भी हम अपने धर्म और ग्रंथों को राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिला पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि थाईलैंड में हिंदुओं की आबादी 0.002 प्रतिशत है लेकिन वहां पर रामायण को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिया गया है, तो हमारे देश में रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा है। जिसको लेकर के हम हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे और जनता के बीच में जाएंगे, जन जागरण करेंगे।

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