श्री रामचरित मानस, रामायण और श्रीमद्भागवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के पक्ष में संतों ने भारी हुंकार
अयोध्या। रामचरित मानस, रामायण और श्रीमद्भागवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए अभियान तेज हो चला है। ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के विशेष अभियान को अब साधु संतों का भी समर्थन मिलने लगा है। रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास के आवास पर साधु-संतों ने इकट्ठा होकर मित्र मंच के समर्थन में ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए हुंकार भरी।
बता दे वरिष्ठ भाजपा नेता व मित्रमंच के राष्ट्रीय प्रमुख शरद पाठक "बाबा" नें रामचरितमानस सहित धार्मिक ग्रंथों को राष्ट्रीय गण घोषित करने के लिए जन जागरण अभियान शुरू किया है। अभियान के पहले दिन कचहरी में अधिवक्ताओं और वार्ड कार्यों को पत्रक बैठकर जागरूक किया गया जिसमें बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं का समर्थन मिला। इसके बाद अभियान के दूसरे दिन इस मांग के समर्थन में रामलला के मुख्य पुजारी सहित अयोध्या के साधु संतों ने भी हुंकार भरी। संतों का कहना है कि आए दिन रामचरित मानस जैसे धार्मिक ग्रंथों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती है और उनकी प्रतियां जलाई जाती है। यदि इन ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथों का दर्जा दिया जाता है तो इसके प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों के वालों को सजा मिलेगी और सजा के डर से लोग इन पर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं कर सकेंगे।
শেয়ার করুন
0 comments: